Ankita Tiwari
Ankita Tiwari
6 hours ago
Share:

जानिए आपका गण और उसकी विशेषता और बदल दीजिए दुनिया | Know your specialty and change the world

क्या आप जानते हैं कि आपका जन्म किस "गण" में हुआ है — देवगण, मनुष्यगण या राक्षसगण? हर गण की अपनी विशेषता होती है, और वही तय करता है आपके स्वभाव, सोच, रिश्ते और भाग्य की दिशा।

https://www.youtube.com/watch?v=40zNtJcknig

क्या आप जानते हैं कि आपका जन्म किस "गण" में हुआ है — देवगण, मनुष्यगण या राक्षसगण?

हर गण की अपनी विशेषता होती है, और वही तय करता है आपके स्वभाव, सोच, रिश्ते और भाग्य की दिशा।

इस वीडियो में जानिए:

🔹 आपका गण क्या है

🔹 आपके गण की विशेषताएं

🔹 गण के अनुसार जीवन में आने वाली चुनौतियां और समाधान

🔹 कैसे 'गण ज्ञान' से आप अपने जीवन को सफल और सकारात्मक बना सकते हैं

गण की सही पहचान से आप खुद को समझ सकते हैं, और दुनिया को भी बदल सकते हैं।

आध्यात्मिक जागरूकता की दिशा में यह पहला कदम हो सकता है — वीडियो ज़रूर देखें!

जय गुरु परमहंस योगानंद जी। नमस्कार दोस्तों। इस वीडियो में हम आपको बता रहे हैं। आज हम समय के उस पार देखने की कोशिश करेंगे। सितारों की उस दुनिया में झांकेंगे जहां हमारे जन्म के साथ ही हमारा स्वभाव लिख दिया जाता है। क्या आप जानते हैं कि आपके भीतर एक देवता का सौम्यांश है या एक साधारण मनुष्य का व्यवहारिक मन या फिर एक शक्तिशाली रहस्यमय राक्षस की आदिम ऊर्जा। यह कोई कल्पना नहीं है। यह वैदिक ज्योतिष का वह गहरा रहस्य है जिसे गण कहा जाता है। गण यानी आपका मौलिक स्वभाव। आपकी आत्मा का डीएनए। आज हम इसी रहस्य से पर्दा उठाएंगे। हम जानेंगे कि आपका गण क्या है? देव, मनुष्य या राक्षस और यह गण आपके जीवन, आपके रिश्तों और आपकी किस्मत पर कैसे प्रभाव डालता है। तो अपनी आंखें बंद कीजिए और मेरे साथ चलिए इस ब्रह्मांडीय यात्रा पर यह जानने के लिए कि आप वास्तव में कौन है। हमारे प्राचीन ऋषियों ने जो ब्रह्मांड की धड़कन को सुन सकते थे। उन्होंने पाया कि हर इंसान तीन मुख्य स्वभावों में से एक लेकर जन्म लेता है। पहला है देवग यानी देवताओं जैसा स्वभाव। सात्विक, कोमल, बुद्धिमान और सुंदर। दूसरा है मनुष्यगण यानी मनुष्यों जैसा स्वभाव। राजसिक, व्यवहारिक, सामाजिक और कर्मठ। और तीसरा है राक्षस गण। यह शब्द सुनते ही मन में एक भय, एक नकारात्मक छवि उभर आती है। लेकिन रुकिए। ज्योतिष का राक्षस वह नहीं है जिसे हम कहानियों में सुनते आए हैं। यहां राक्षस गण का अर्थ है तामसिक ऊर्जा, असाधारण शक्ति, तीव्र अंतर्ज्ञान यानी इंट्यूशन और दुनिया को अपनी शर्तों पर देखने की क्षमता। वे जिन्हें भेड़चाल पसंद नहीं जो अपनी राह खुद बनाते हैं। तो सवाल यह उठता है कि यह तय कैसे होता है? इसका राज छिपा है आपके जन्म के नक्षत्र में। जिस क्षण आपने इस धरती पर पहली सांस ली उस क्षण चंद्रमा आकाश के 27 नक्षत्रों में से जिस नक्षत्र में विराजमान थे वही नक्षत्र आपका जन्म नक्षत्र है और हर नक्षत्र इन तीन गणों में से एक से जुड़ा हुआ है। यह 27 नक्षत्र ब्रह्मांड की वो घड़ियां हैं जो हमारे स्वभाव का समय तय करती हैं। यह है अश्विनी भरणी कृतिका रोहिणी मृगशिरा आर्द्रा पुनर्वसु पुष्य आश्लेषा मघा पूर्वा फाल्गुनी उत्तरा फाल्गुनी हस्त अल्पविराम छोटी इत्रा स्वाति विशाखा अनुराधा जेष्ठा मूल पूर्वाषाढ़ा उत्तराषाड़ा श्रवण धनिष्ठा शदभिषा पूर्वा भाद्रपद उत्तरा भाद्रपद और रेवती इन्हीं 27 सितारों में से एक सितारा आपका है और वही बताएगा कि आपके भीतर किसकी आत्मा बसती है। चलिए सबसे पहले बात करते हैं उन सौभाग्यशाली लोगों की जो देवक के साथ जन्मे हैं। देवग यानी दिव्यता का अंश। ऐसे लोग स्वभाव से शांत, सरल, बुद्धिमान और सुंदर होते हैं। इनके चेहरे पर एक अजीब सी चमक और शांति होती है। इन्हें लड़ाई, झगड़ा, छल कपट पसंद नहीं। यह ज्ञानी होते हैं। कला प्रेमी होते हैं और दूसरों की मदद करने में हमेशा आगे रहते हैं। इनका हृदय कोमल होता है और इनकी आत्मा शुद्ध। अगर आपका जन्म इन नौ नक्षत्रों में से किसी एक में हुआ है तो आप देवक्य हैं। अश्विनी आप में घोड़े जैसी ऊर्जा और गति है। आप किसी भी काम को तुरंत शुरू करना चाहते हैं। आप एक बेहतरीन मरगम लगाने वाले यानी हील हैं और दूसरों के दुख को दूर करने की आप में अद्भुत क्षमता है। मृगशिरा आपकी आंखें हिरण की तरह सुंदर और खोजी होती है। For full Information watch video https://www.youtube.com/@Atmashakti1008